कोई भी चीज खरीदने या कहीं भी पैसे इन्वेस्ट करने से पहले अच्छे से जांच परख कर लेना बहुत जरूरी होता है। अगर हम Mobile खरीदते है तो सबसे पहले हम देखते हैं की वो किस कंपनी का है और फिर उसकी Specification देखते हैं।
फिर हम उसके Price से उसकी Specification को मैच करते है अगर हमे प्राइस ज्यादा लगता है तो हम दूसरी कंपनी के मोबाइल प्राइस और स्पेसिफिकेशन देखते हैं। ठीक उसी तरह से शेयर खरीदते वक्त हमे PE Ratio देखना होता है जिसके जरिए हम पता लगाते हैं की कंपनी का शेयर महंगा है या सस्ता।
आज के आर्टिकल में हम आपको Pe Ratio kya hota hai?, Pe Ratio कितना होना चाहिए?, Pe Ratio कैसे निकालें?, Pe Ratio का फॉर्मूला क्या होता है?,हमें कितने Pe Ratio पर शेयर खरीदना चाहिए?, Sector Pe क्या होता है?, और भी बहुत सारी जानकारी देंगे आज के लेख को अंत तक पढ़ने के बाद Pe से संबंधित आपके सारे सवालों के जवाब मिल जायेंगे।
Pe Ratio क्या होता है? Share Market Me Pe Ratio Kya Hota Hai
यह कंपनी का फाइनेंशियल रेश्यो होता है जिसके जरिए हम पता लगाते है कि कंपनी के शेयर सस्ते है या महंगे। इसके जरिए आप आसानी से पता लगा पाएंगे की एक ही सेक्टर की किस कंपनी में आपको पैसे निवेश करने चाहिए।
साथ ही हम Pe के जरिए ये भी डिसाइड कर सकते हैं की हमे शेयर खरीदना चाहिए या नहीं खरीदना चाहिए। पी ई रेश्यो के जरिए हम ये भी पता लगा सकते है की उस कंपनी का शेयर अपने EPS के मुकाबले कितने अधिक मूल्य पर ट्रेड कर रहा है।
पी ई रेश्यो से हम ये भी पता लगा सकते हैं की एक ही फंडामेंटल वाली दो कंपनियों में से किस कंपनी का शेयर सस्ता हैं और किस कंपनी का महंगा। Pe Ratio कंपनी के शेयर मूल्य और मुनाफे का अनुपात होता है।
Pe Full Form in Share Market
Share Market में Pe की Full Form होती हैं Price to Earning Ratio यह रेश्यो ही हमे बताता है की हमे आगे चलकर किसी कंपनी से एक रुपए कमाने के लिए वर्तमान में कितने रुपए देने पड़ रहे हैं।
Example of Pe Ratio in Hindi
आसान भाषा में उदाहरण के साथ समझते है Pe Ratio Example in Hindi
मान लेते है कोई कंपनी एक साल में 50 रूपये कमाती है और आपने उसका एक शेयर खरीद लिया जिसकी वर्तमान में 500 रूपये कीमत है जिसका Pe Ratio 5 है।
इसका मतलब हुआ आपने साल भर में 50 रूपये कमाने के लिए कंपनी को 500 रूपये दिए है। यहां आपको दस गुना अधिक कीमत देनी पड़ी है।
यानी आप किसी कंपनी से 1 रूपये कमाना चाहते हैं तो आपको उस कंपनी को 5 रूपये देने होंगे। नही समझ आया कोई बात नही और सरलता से समझते है
समझिए अगर आप किसी कंपनी का एक शेयर खरीदते है 500 रूपये में तो आप उस कंपनी के मुनाफे के कुछ मालिक बन जायेंगे। ताकि आपके शेयर के हिसाब से आपको हर साल मुनाफा मिलता रहे।
उदाहरण:
मान लेते है किसी कंपनी का Eps 10 रूपये है यानी कि वो कंपनी हर साल एक शेयर पर 10 रूपये का कमाती है और उसके शेयर का प्राइस अभी 100 रूपये है ये उसके Eps का 10 गुना हुआ तो हम कह सकते है की कंपनी का Pe Ratio 10 है।
Eps यानी Earning Per Ratio से हमे ये पता चलता है की कंपनी एक शेयर से कितना मुनाफा कमा रही है Eps जितना ज्यादा होगा उतना ही अच्छा माना जाएगा। आप Eps के बारे में विस्तार से जानना चाहते है तो ये लेख पढ़ सकते है Eps क्या होता है?
PE Ratio कैसे निकाले? Pe Ratio Formula in Hindi
आशा करता हूं आप Pe Ratio को अच्छे से समझ गए होंगे अब बात करते है Pe Ratio को कैसे कैलकुलेट किया जाता है।
P/E Ratio को कंपनी के Current Price को EPS से भाग (Divide) करके निकाला जाता है Current प्राइस से निकलते है इसलिए यह समय के साथ बदलता रहता है।
PE Ratio = Current Price of One Share / EPS
Example:
अगर किसी शेयर का प्राइस 50 रूपये है और अर्निंग पर शेयर 5 रूपये है तो उस कंपनी का Pe Ratio होगा
50/5=10 Pe Ratio
(50 रूपये कंपनी के एक शेयर का प्राइस है और 5 रूपये Eps और 10 उस कंपनी का पी ई रेश्यो)
अगर किसी कंपनी का Eps बढ़ता है तो उसका Pe Ratio में भी बदलाव होगा जैसे
50/10=5 Pe Ratio
(50 रूपये कंपनी के एक शेयर का प्राइस है और 10 रूपये Eps और 5 उस कंपनी का पी ई रेश्यो)
Eps की कैलकुलेशन के साथ Pe Ratio को कैसे निकालें?
मान लेते हैं किसी कंपनी के पास कुल शेयर 1000 हैं और वो कंपनी एक साल में 1,00,000 एक लाख रूपये कमाती है तो उसका EPS हुआ
1,00,000/1000=100 रूपये प्रति शेयर
और कंपनी के शेयर का करंट प्राइस 500 रूपये चल रहा है तो PE Ratio होगा
500/100=5 pe ratio
इसका मतलब कंपनी का एक शेयर साल भर में 100 रूपये कमाता है तो आपको 100 रूपये कमाने के लिए 5 गुना अधिक कीमत देनी होगी।
Pe Ratio कितने प्रकार के होते हैं?
Pe Ratio दो प्रकार के होते हैं:
- Trailing Pe Ratio
- Forward Pe Ratio
Trailing Pe Ratio
इस Pe Ratio को निकालने के लिए कंपनी के पिछले मुनाफे को देखा जाता है ये सही होने के कारण कंपनी की वास्तविक स्थिति बताता है इसे निकालने के लिए कंपनी के Current Market Price में कंपनी की Past Earning को Divide किया जाता है।
उदाहरण:
Current Market Price है 1000 रूपये और Past Earning है 100 रूपये 1000/100=10 Trailing Pe Ratio
Forward Pe Ratio
इस Pe Ratio को निकालने के लिए कंपनी के Future Earning के अनुमान के आधार पर पता किया जाता है इसे निकालने के लिए कंपनी के Current Market Price में कंपनी की Future Estimate Earning को Divide किया जाता है।
उदाहरण:
Current Price है 2000 रूपये और Future Estimate Earning 200 रूपये हो सकती है तो फॉर्मूला 2000/200=20 Forward Pe Ratio
उम्मीद है सभी फार्मूले आपको समझ आ गए होंगे और आप उनका उपयोग करना सीख गए होंगे अगर आप नही समझ पा रहे तो एक पेपर पर नोट बनाके जैसे हमने ऊपर फार्मूले बताए है उनकी प्रैक्टिस करिए।
Pe Ratio क्यों महत्वपूर्ण होता हैं?
Pe Ratio क्यों महत्वपूर्ण होता है इसके कुछ कारण हमने नीचे बताए है
- शेयर अपने प्रॉफिट से सस्ता है या महंगा।
- कंपनियों का Comparison करने के लिए।
- एक ही सेक्टर की कंपनियों में से एक कंपनी का चुनाव करने के लिए।
- शेयर में सही इन्वेस्टमेंट करने के लिए।
- सही शेयर का चुनाव करने के लिए।
Pe Ratio का उपयोग कैसे करें? (How to Use Pe Ratio in Hindi)
Pe Ratio बहुत ही महत्वपूर्ण फाइनेंशियल रेश्यो है। एक निवेशक को शेयर का चुनाव करते समय इसका उपयोग जरूर करना चाहिए। इसके जरिए आप आसानी से पता लगा लेंगे की शेयर सस्ता है या महंगा।
नीचे दी गई जानकारी के जरिए आप जान पाएंगे की Pe Ratio का उपयोग कैसे करना है:
सबसे पहली बात pe ratio का उपयोग अलग अलग सेक्टर की कंपनियों के बीच तुलना करने में नही कर सकते इसका उपयोग एक ही सेक्टर की अलग अलग कंपनियों के बीच तुलना करने में कर सकतें हैं
जैसे आपको Tech Sector में पैसा इन्वेस्ट करना है तो आप Tech Sector की ही कंपनियों के बीच तुलना में इसका उपयोग कर सकते हैं। आप Tech Sector और Banking और Banking Sector की कंपनियों के बीच तुलना करने में इसका उपयोग नही कर सकते।
उदाहरण :
मान लेते है HDFC Bank जो की बैंकिंग सेक्टर में आती है और जिसका वर्तमान में Pe 20 है वही एक कंपनी HCL जो की Tech Sector में आती है उसका वर्तमान Pe 10 है यहां पर देखे तो HCL का Pe Ratio कम है।
लेकिन यहां Pe Ratio को देखना सही नही माना जाएगा क्योंकि दोनो अलग सेक्टर में आती हैं।
पी ई रेशों से कैसे पता करें शेयर सस्ता है या महंगा?
मान के चलते हैं किसी कंपनी X का शेयर प्राइस 200 रूपये है और EPS 20 रूपये हैं तो प्राइस टू अर्निंग रेश्यो होगा 200/20=10
Pe Ratio तो हमने निकल लिया लेकिन अब हमें ये कैसे पता चलेगा कि कंपनी X का शेयर सस्ता है या महंगा ये पता करने के लिए आपको Same Sector की दूसरी कंपनी Y से कंपेयर करना पड़ेगा।
मान के चलते है Y कंपनी का शेयर प्राइस 400 रूपये है और EPS 20 है तो प्राइस टू अर्निंग रेश्यो होगा 400/20=20
अब आपको इन दोनो कंपनियों का सेक्टर Pe Ratio देखना है मान लेते है X और Y दोनो Tech Sector की कंपनिया है जिनका सेक्टर Pe 15 है।
अब हम आसानी से पता कर सकते है किस कंपनी का शेयर सस्ता है और किसका महंगा कंपनी X का Pe है 10 और कंपनी Y का Pe है 20 और सेक्टर पी ई है 15 तो इस हिसाब से कंपनी X का शेयर मार्केट के हिसाब से सस्ता हुआ।
अब ये भी जरूरी नहीं की जो शेयर सस्ता है वो अच्छा है ये भी हो सकता है ये शेयर ग्रोथ ही न कर रहे हों और कोई खरीद ही नही रहा हो।
और जो शेयर महंगा है वो इसलिए महंगा है क्योंकि वो तेजी से ग्रोथ कर रहा है और इन्वेस्टर उसे हाई प्राइस पर भी खरीद रहें हैं।
पी ई अनुपात को कैसे समझें?
पी ई अनुपात को समझने के लिए हम नीचे टेबल और उदाहरण के माध्यम से समझेंगे
उदाहरण
एक A लिमिटेड कंपनी हैं जिसका तीन साल का फाइनेंशियल स्टेटमेंट कुछ इस प्रकार है
Year | EPS | Share Price | PE Ratio |
First Year | 20 | 200 Rupees | 10 |
Second Year | 25 | 250 Rupees | 10 |
Third Year | 30 | 300 Rupees | 10 |
यहां EPS में हर साल कुछ वृद्धि हो रही है जो की बहुत कम है इसे हम कह सकते है A कंपनी एक Low Pe Low Growth कंपनी है। Low Growth कंपनी के शेयर प्राइस ज्यादा नही बढ़ते इसलिए उनका Pe Ratio भी कम होता है।
एक दूसरी कंपनी का उदाहरण लेते हैं।
उदाहरण
एक B लिमिटेड कंपनी हैं जिसका फाइनेंशियल स्टेटमेंट कुछ इस प्रकार से है
Year | EPS | Share Price | PE Ratio |
First Year | 20 | 400 Rupees | 20 |
Second Year | 40 | 1000 Rupees | 25 |
Third Year | 80 | 2400 Rupees | 30 |
यहां पर EPS में हर साल बढ़ोतरी हो रही है जो की बहुत अच्छा है इसे हम कह सकते B कंपनी एक High Pe High Growth कंपनी है। High Growth कंपनी के शेयर प्राइस बढ़ते रहते है इसलिए उनका Pe Ratio भी हाई होता है।
अब आप इन दोनो कंपनियों में से किस कंपनी में पैसा इन्वेस्ट करेंगे एक कंपनी जो की Low Growth कंपनी है और एक जो की High Growth कंपनी है।
पहली कंपनी A जिसका Pe कम है और ग्रोथ भी कम है दूसरी कंपनी B जिसका Pe ज्यादा है लेकिन ग्रोथ भी ज्यादा है।
इन दोनो कंपनियों में B कंपनी ने पैसा इन्वेस्ट करना बेहतर होगा क्योंकि इसमें हाई ग्रोथ होने के कारण अच्छा रिटर्न प्राप्त होगा।
दोस्तो हम सिर्फ PE और Growth देख कर पैसे इन्वेस्ट नहीं कर सकते इसके अलावा हमको कंपनियों की Earning Per Share भी देखना होता है वो ऐसे
उदाहरण
एक कंपनी X है जिसका तीन साल का फाइनेंशियल कंडीशन कुछ इस प्रकार से है
Year | EPS | Share Price | PE Ratio |
First Year | 40 | 400 Rupees | 10 |
Second Year | 20 | 300 Rupees | 15 |
Third Year | 10 | 200 Rupees | 20 |
अब यहां पर इस कंपनी का Eps और शेयर प्राइस हर साल कम हो रहा है लेकिन Pe Ratio बढ़ रहा है अगर हम सिर्फ पी ई रेश्यो देखे तो लग रहा है कंपनी ग्रो कर रही है लेकिन वास्तव में ऐसा नही है।
कंपनी ग्रो नही कर रही क्योंकि हर वर्ष कंपनी का ईपीएस कम हो रहा है इसलिए शेयर प्राइस भी कम होता जा रहा है। समझने वाली बात ये है की कंपनी का ईपीएस और उसके शेयर प्राइस की तुलना में ज्यादा कम हो रहे है इसलिए Pe बढ़ रहा है।
इसलिए ये जरूरी नही की किसी कंपनी का pe बढ़ रहा है तो वो ग्रो कर रही है और अगर शेयर प्राइस बढ़ रहा है तो भी जरूरी नही की कंपनी ग्रो कर रही है।
हर वर्ष कंपनी X की अर्निंग कम होती जा रही है मतलब ये हुआ इस कंपनी की ग्रोथ नकारात्मक है और नकारात्मक ग्रोथ वाली कंपनी में कभी में इन्वेस्ट नही करना चाहिए।
एक और कंपनी के उदाहरण से समझते है जिससे आपको Pe Ratio को समझना बिलकुल क्लियर हो जाएगा
एक कंपनी Y जिसकी तीन साल की फाइनेंशियल कंडीशन कुछ इस प्रकार है
Year | EPS | Share Price | PE Ratio |
First Year | 10 | 300 Rupees | 30 |
Second Year | 15 | 300 Rupees | 20 |
Third Year | 30 | 300 Rupees | 10 |
इस कंपनी का EPS हर साल अच्छे से बढ़ रहा है लेकिन कंपनी के शेयर प्राइस में कोई बदलाव देखने को नही मिला और इसलिए Pe Ratio बढ़ने की बजाए कम हो रहा है
अब आप यहां सिर्फ Pe Ratio को देखेंगे तो आपको लगेगा कंपनी ग्रो नही कर रही है लेकिन ऐसा नही हैं कंपनी का अर्निंग पर शेयर हर साल बढ़ रहा है बस किसी कारण की वजह से उसके शेयर प्राइस में कोई बदलाव नहीं हुआ इसलिए पी ई रेश्यो भी कम हो रहा है।
इसलिए इस कंपनी में पी ई रेश्यो कम होने के बावजूद भी इन्वेस्टमेंट करना अच्छा हो सकता है।
हमने चार कंपनियों के उदाहरण से आपको Pe Ratio को समझाया की अलग अलग कंपनियों के Pe Ratio आने पर क्या कारण हो सकता है और इन्वेस्ट करना ठीक है या नहीं।
P/E Ratio High or Low Better Hindi
High Pe Ratio होने का कारण
- कंपनी की ग्रोथ हाई हो सकती है।
- कंपनी के मुनाफे में बढ़ोतरी होना।
- स्टॉक ओवरवेल्यू हो सकते हैं।
- कंपनी की भविष्य में बहुत ज्यादा ग्रोथ की संभावना हैं।
- बढ़ने वाले शेयर के कारण भी हाई पी ई हो सकता है।
Low Pe Ratio होने का कारण
- कंपनी को ग्रोथ कम होना।
- कंपनी के मुनाफे में बढ़ोतरी ना होना।
- कंपनी की भविष्य में ग्रोथ की संभावना ना होना।
- शेयर प्राइस में गिरावट के कारण भी लो पी ई हो सकता है।
- स्टॉक का अंडरवैल्यू होना।
P/E Ratio Kitna Hona Chahiye
Low और High जानने के बाद अब बात आती है आखिर PE कितना होना चाहिए वैसे pe ratio कितना होना चाहिए इसका कोई मानक तय नही है लेकिन हां कंपनी के Pe को उसके sector Pe से देख सकते हैं।
साथ में एक सेक्टर की किसी एक कंपनी से दूसरी कंपनी के pe का Comparison कर सकते हैं इस से आइडिया लगाया जा सकता है की पी ई ज्यादा है या कम।
इसके अलावा आप पिछले सालों के Pe Ratio को देखकर भी अनुमान लगा सकते है की शेयर के दाम सस्ते है महंगे।
किसी भी कंपनी का P/E Ratio कैसे देखे?
किसी भी कंपनी का पी ई रेश्यो देखने के लिए आप कुछ ऑनलाइन वेबसाइट का इस्तेमाल कर सकतें हैं जैसे Moneycontrol और Screener वेबसाइट के जरिए कंपनी के P/E Ratio का पता लगा सकते है।
आप इनकी Mobile App भी Google Play Store से Install कर सकते हैं। यहां पर आपको Consolidated Pe Ratio, or Sector Pe Ratio की भी जानकारी मिल जाएगी।
TTM Pe Ratio क्या होता है? (What is TTM Pe Ratio in Hindi)
TTM की Full Form होती है Trailing Twelve Months Accounting में Financial Statistics का पिछले 12 महीने का डाटा देखने के लिए TTM का उपयोग किया जाता है।
TTM Pe Ratio के जरिए हम शेयर के पिछले एक साल का रेश्यो पता लगाते है। TTM Pe को निकालने के लिए Current Share Price को पिछले चार क्वार्टर यानी एक वर्ष के EPS से डिवाईड करना होता है।
TTM Pe Ratio को निकालना कोई मुस्किल काम नहीं है क्योंकि कंपनियां हर तीन महीने में EPS के साथ अपना फाइनेंशियल रिजल्ट बताती है।
पी ई रेश्यो की सीमाएं (Limitations of P/E Ratio in Hindi)
ये बात तो सच है की पी ई रेश्यो किसी कंपनी को जज करने का एक अच्छा तरीका है लेकिन सिर्फ pe को देखकर ही कभी शेयर नही खरीदे जाते। इसकी कुछ लिमिटेशन होती है जिनका आपको ध्यान रखना है।
- PE RATIO सिर्फ Earning के जरिए निकाला जाता है इसमें कंपनी के Debt को अनदेखा किया जाता है।
- कोई कंपनी अच्छे Pe Ratio पर मिल सकती है लेकिन उस कंपनी पर बहुत ज्यादा लोन हो सकता है कंपनी पर ज्यादा लोन होना इन्वेस्टर के लिए अच्छा नही है।
- कंपनी को अर्निंग बदलती रहती है इसलिए पी ई रेश्यो के आधार पर अर्निंग को स्थिर मानना सही नही होगा। कंपनी को अर्निंग कई अन्य फैक्टर पर भी निर्भर करती है।
- कोई ऐसी कंपनी जिसका पी ई रेश्यो बीस है और दूसरी कंपनी जिसका पी ई रेश्यो दस है इसमें दस वाली कंपनी सस्ती है लेकिन पी ई से आपको ये नही पता चलेगा की कौन सी कंपनी अच्छी अर्निंग कर रही है।
- Pe Ratio शेयर की करंट प्राइस के जरिए निकाला जाता है जो की हर रोज बदलती रहती है इसलिए आपको सिर्फ पी ई पर ही निर्भर नही होना है।
Industry Pe Ratio क्या होता है? (Industry Pe Ratio in Hindi)
Industry Pe Ratio वो रेश्यो होता है जिसमे हम एक सेक्टर की सभी कंपनियों के पी ई रेश्यो को मिलाकर निकलते हैं वो इंडस्ट्री पी ई रेश्यो होता है।
एक ही सेक्टर की सभी कंपनियों के औसत Pe Ratio के आधार पर निकला जाता है। जैसे IT सैक्टर का Pe Ratio निकालना है तो IT सैक्टर की सभी कंपनियों के Pe Ratio की जरूरत पड़ेगी।
मान लेते है वर्तमान में IT सेक्टर का पी ई रेश्यो 60 है और HCL जो की IT सेक्टर की कंपनी है उसका पी ई रेश्यो 50 है जो की अपने सेक्टर पी ई रेश्यो से कम में ट्रेड कर रहा है इसका मतलब HCL अपने सेक्टर के औसत पी ई से सस्ता है।
दूसरी ओर बैंकिंग सेक्टर जिएका पी ई रेश्यो 70 है जिसमें ICICI Bank जिसका पी ई रेश्यो 80 है इसका मतलब ICICI Bank अपने औसतन से महंगा है।
ICICI Bank का शेयर पी ई अपनी इंडस्ट्री पी ई से ज्यादा ट्रेड करने के कारण इस कंपनी को ओवर वैल्यूड कहा जायेगा।
समझिए
ये जरूरी नही है की किसी शेयर का पी ई अपने इंडस्ट्री के पी ई से ज्यादा है तो वो सही होगा अगर उस शेयर में बढ़ोतरी करने की अच्छी क्षमता है तो निवेशक उसे बड़े हुए दामों में भी खरीदने को तयियार रहते हैं। जिससे उस शेयर का पी ई रेश्यो बढ़ता है।
Pe Ratio का उपयोग करने का दूसरा तरीका है Average Method आपको जिस किसी भी स्टॉक की जानकारी लेनी है उसका लगभग 5 वर्ष का Average Pe Ratio देखें।
अगर उस स्टॉक का Average Pe Ratio वर्तमान Pe Ratio से ज्यादा है तो वो शेयर अपने औसत पी ई से कम प्राइस पर ट्रेड कर रहा है।
ये आपके लिए उस शेयर को खरीदने का अच्छा संकेत हैं जैसे की एसबीआई बैंक का 5 वर्षो का पी ई रेश्यो 40 है और अभी वो 30 पर ट्रेड कर रहा है तो वो अपने हिस्टोरिकल पी ई रेश्यो से सस्ता माना जाएगा।
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FAQ Pe Ratio in Hindi
एक अच्छा पीई क्या है?
फिक्स बताना मुश्किल है अंदाजे से कह सकते हैं 20 से 30 के आस पास का पीई अच्छा पीई माना जाता है।
क्या कम पीई अनुपात बेहतर है?
ये जरूरी नही की कम पीई होगा तो वो बेहतर है इसके अलावा बहुत सी चीजें देखनी होती है हमने ऊपर लेख में उदाहरण के साथ बताया है।
क्या 10 का पीई अच्छा होता है?
10 का पीई अच्छा है ये पता करने के लिए आपको कंपनी के EPS (Earning Per Ratio) को देखना होगा और साथ ही उसके शेयर प्राइस को भी देखना होगा।
निष्कर्ष Pe Ratio in Hindi
किसी भी शेयर की परख करने के लिए कई पैरामीटर देखने होते हैं ये जरूरी नही की आप बार Pe Ratio को देखकर अच्छा शेयर पता लगा लेंगे आप अच्छा शेयर पता लगाने के लिए Pe को एक फिल्टर के रूप में उपयोग कर सकते हैं।
आज के लेख में हमने Pe Ratio क्या होता है और इस से जुड़ी हुई सारी जानकारी देने की कोशिश की है उम्मीद है आपको समझ आई होगी। जानकारी कैसी लगी कॉमेंट बॉक्स के जरिए अपनी राय जरूर दें।
महत्वपूर्ण सूचना: यहां दी गई जानकारी सिर्फ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. हमारी तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी कोई सलाह नहीं दी जाती है.
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